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कोरोना की 'साजिश' का जिम्मेदार कौन? चीन-अमेरिका एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

चीन की सरकार और रूस की मीडिया इस वायरस को अमेरिकी साज़िश बताने के लिए जो तर्क दे रहे हैं, उससे अमेरिका बैकफुट पर है. अब तक खुद अमेरिका कोरोना को चीनी लैब से निकला वायरस साबित करने में जुटा था. मगर अब इन तमाम दावों के बाद वो दुनिया और अपने मुल्क की जनता को ये समझाने में लगा है कि इन अफवाहों में ना आएं



चीन ने धोखा देकर आर्थिक विश्व विजय हासिल कर ली है..


उसने सबसे पहले कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाई और तब तक अपने फ्रिजों में रखी जब तक पूरे विश्व की आर्थिक अर्थव्यवस्था को पाताल में नहीँ उतार दिया। चीन पूरी दुनिया के इन्वेस्टर्स का हब बन गया था। 
चीन ने अपने वुहान शहर में इस वायरस को छोडा और जबरदस्त मौतों के कारण भागते इन्वेस्टर्स के शेयरों को कौडी के भाव खरीद  लिये और  विदेशी निवेशक और उद्यमी अपनी पूंजी छोड़ कर भाग गये चीन ने अपने द्वारा पहले से बनाई और छुपा कर रखी गई वैक्सीन को बाहर निकाल लिया और एक ही दिन में चीन हो रही मौतों को रोक दिया। इस युद्ध में चीन ने अपने कुछ लोग खोये पर पूरी दुनिया की दौलत लूट ली।आज वहाँ एक भी मौत नहीँ हुइ और न ही एक भी मरीज की संख्या बढी ।आज ये वायरस पूरी दुनिया में काल की तरह चक्कर लगा रहा है...

आज पूरा विश्व 
हर रोज अपनी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होते देख रहा है। पर 17 मार्च सै चीन की अर्थव्यवस्था दिनों दिन मजबूत हो रही है। 
ये एक आर्थिक युद्ध है जिसमें चीन जीत चुका है और विश्व कुदरत से युद्ध करते करते रोज अपने जान माल को गंवा रहा है। 



ये भारत के लोगों का इम्यून है कि वह हर संकट में कुशल यौद्धा की तरह लडता है और जीतता है।हमारे देश के अधिकांश नागरिक इकनोमी के आकंडो में नहीँ फसते, पत्थर में से पानी निकालने की कुव्वत रखते हैं। हम भारतीय बडे से बडे रोग को रोटी के टुकड़े में लपेट कर खाने और पचाने में माहिर हैं। 
हम कभी कुदरत के विरुद्ध  युद्ध नहीँ करते बल्कि उसकी इबादत करते हैं। हम भारतीय मस्जिद मन्दिरों ,गुरुद्वारों से आवाज दे दे कर बुलाते हैं ऊपर वाले को 
रिझाते हैं....
पर हर भारतीय को याद रखना चाहिए कि चीन और चीनी इस कुदरत के खल नायक है इनसे हर प्रकार की दूरी बनाए रखें।




कैसे वुहान से फैला वाईरस


वुहान से शंघाई की दूरी = 839 km
वुहान से बीजिंग की दूरी= 1152 km
वुहान से मिलान   की दूरी= 15000 km
वुहान से न्यूयॉर्क  की दूरी= 15000 km

पास के बीजिंग/ शंघाई में कोरोना का कोई प्रभाव नहीं 
लेकिन इटली, ईरान, यूरोप देशों में लोगों की मृत्यु और पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था बर्बाद.

चीन के सभी व्यापारिक क्षेत्र सुरक्षित
कुछ तो गड़बड़ है,
अमेरिका ऐसे ही नहीं चीन को दोष दे रहा है...!!

चीन सरकार से 10 अहम सवाल ..??



1-: जहां पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है,वहीं चीन में वुहान के अलावा यह क्यों कहीं नहीं फैला? चीन की राजधानी आखिर इससे अछूती कैसे रह गयी? 

2-: प्रारंभिक अवस्था में चीन ने पूरी दुनिया से इस वायरस के बारे में क्यों छुपाया?

3-: कोरोना के प्रारंभिक सैंपल को नष्ट क्यों किया?

4-: इसे सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को खामोश क्यों किया? पत्रकार को तो गायब ही कर दिया गया है?

5-: दुनिया के अन्य देशों ने जब सूचना साझा करने को कहा तो उसने सूचना साझा क्यों नहीं किया? मना क्यों किया? 

6-: कोरोना मानव से मानव में फैलता है, इसे छुपाने के लिए WHO  के कम्युनिस्ट निदेशक का उपयोग क्यों किया गया? WHO के निदेशक जनवरी में "बीझिंग (चीन)" में क्या कर रहे थे ..... प्लान फिक्सिंग कर रहे थे क्या?

7-: "किसी भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मानव से मानव में नहीं फैलता है" ऐसा ट्वीट 11 जनवरी तक WHO करता रहा क्यों ? आज साबित हो गया कि कोरोना मानव से मानव में फैलता है... तो फिर WHO ने झूठ क्यों बोला ?

8-:  वुहान से एकसाथ 50,00,000 लोगों को बिना मेडिकल जांच किए "दुनिया के अलग-अलग हिस्से में" क्यों भेजा गया ..?

9:-  इटली में 6 फरवरी तक मामूली केस था। एकाएक चीनी 'हम चीनी हैं वायरस नहीं, हमें गले लगाइए।' प्लेकार्ड के साथ दुनिया के पर्यटन स्थल 'सिटी ऑफ लव' के नाम से मशहूर इटली के लोगों को गले लगाने क्यों पहुंचे ..?आज इटली के जो हालत है वो हम सब के सामने है

10-:  पूरी दुनिया  आज चीन और WHO को संदेह की नजर से देख रही है और ताज्जुब देखिए कि एक ही दिन चीन और WHO, दोनों भारत की तारीफ में उतर आए! क्या यह महज संयोग है? 


दुनिया पर हावी होने का तरीका ??
चीनी रणनीति


सबसे पहले एक वायरस और उसकी दवा बनाई।
फिर वायरस फैलाया।
अपनी दक्षता का प्रदर्शन करते हुए रातों- रात अस्पतालों का निर्माण करवा लिया

(आखिरकार वे पहले से ही तैयार थे) परियोजनाओं के साथ साथ उपकरण का आदेश देना, श्रम, पानी और सीवेज नेटवर्क को किराए पर लेना, पूर्वनिर्मित निर्माण सामग्री और एक प्रभावशाली मात्रा में स्टॉक.. यह सब उस रणनीति का हिस्सा थे।

परिणामस्वरूप दुनिया में वायरस के साथ साथ अराजकता फैलने लगी, खास कर के यूरोप में।

दर्जनों देशों की अर्थव्यवस्था त्वरित रूप से प्रभावित हुई।

अन्य देशों के कारखानों में उत्पादन लाइनें बंद हो गई।

फलस्वरूप शेयर बाजार में ज़बरदस्त गिरावट।

चीन ने अपने देश में महामारी को जल्दी से नियंत्रित कर लिया। रातों रात वुहान से कोरोना के नए मरीज मिलना बन्द ही हो गए। यह कैसे सम्भव है जबकि इटली जैसा देश इस स्थिति को नहीं सम्भाल पर रहा है। आखिरकार, चीन पहले से ही तैयार था।

परिणाम स्वरूप उन वस्तुओं की कीमत कम हो गई, जिनसे वह बड़े पैमाने पर तेल आदि खरीदता हैं।

फिर चीन तुरन्त ही उत्पादन करने के लिए वापस जुट गया, जबकि दुनिया एक ठहराव पर है। जहां एक ओर दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है, 

वहीं चीन ने अपनी फैक्ट्रियों में काम शुरू करवा दिया है? चीन उन चीजों को खरीदने लगा जिनकी कीमत में भारी गिरावट हो गई थी 

और उनको बेचने लगा जिनकी कीमत में ज़बरदस्त इजाफा हुआ है।



क्या ये सब अमेरिका को बर्बाद करने की साज़िश तो नहीं..

अब यदि विश्वास ना हो रहा हो तो - 1999 में, चीनी उपनिवेशों किआओ लियांग और वांग जियांगसुई के द्वारा लिखी गई पुस्तक, "अप्रतिबंधित युद्ध: अमेरिका को नष्ट करने के लिए चीन का मास्टर प्लान" को पढ़ लें! ये सब तथ्य वहाँ मौजूद है।

थोड़ा दिमाक लगा कर गौर से सोचिये..?
 कैसे रूस और उत्तर कोरिया कोविड 19 याने कोरोना से पूरी तरह से मुक्त हैं?क्योंकि वे चीन के कट्टर सहयोगी हैं।  इन 2 देशों से एक भी मामले की सूचना नहीं मिली।  दूसरी ओर दक्षिण कोरिया / यूनाइटेड किंगडम / इटली / स्पेन और एशिया गंभीर रूप से प्रभावित हैं। 
क्योंकि ये सब चीन के प्रतिस्पर्धी है..

कैसे हुआ वुहान अचानक घातक वायरस से मुक्त?

चीन यह कहेगा कि उनके प्रारंभिक उपाय बहुत कठोर थे और वुहान को अन्य क्षेत्रों में फैलाने के लिए बंद याने लोकडाउन कर दिया गया था। परन्तु ये जवाब बड़ा ही  मजाकिया है..ऐसा होता तो बाकी के देशों में भी यह इतना नहीं फैलता और एक शहर तक ही सीमित रहता। यह 100% सत्य है कि वे वायरस के एंटी डोड का उपयोग कर रहे हैं।बीजिंग में कोई क्यों नहीं मारा गया? केवल वुहान ही क्यों?  दिलचस्प विचार है ये ...खैर, वुहान अब व्यापार के लिए खुल गया है। अमेरिका और उपर्युक्त सभी देश आर्थिक रूप से तबाह हैं।  जल्द ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था चीन की योजना के अनुसार ढह जाएगी।  चीन जानता है कि वह अमेरिका को सैन्य रूप से नहीं हरा सकता क्योंकि वर्तमान में इस हिसाब से अमरीका विश्व में सबसे बड़ा ताकतवर देश है।

तो यह है चीन का विश्व विजय फार्मूला...वायरस का उपयोग करें दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षमताओं को पंगु बनाने के लिए। निश्चित ही नैन्सी पेलोसी को इसमें एक सहायक बनाया गया था कारण था ट्रम्प को टक्कर देने के लिए। राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा यह बताते रहे है कि कैसे ग्रेट अमेरिकन अर्थव्यवस्था सभी मोर्चों में सुधार कर रही है।  
AMERICA GREAT AGAIN 
बनाने की उनकी दृष्टि को नष्ट करने का एकमात्र तरीका आर्थिक तबाही था।  
नैन्सी पेलोसी ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग लाने में असमर्थ थी।  
इसलिए चीन के साथ मिलकर एक वायरस जारी करके ट्रम्प को नष्ट करने का यह तरीका उन्होंने अपनाया। वुहान तो महामारी का सिर्फ एक प्रदर्शन था...
अब ये वायरस महामारी को चरम पर ले जा चुका है!!!



क्या सारे जहां की साफ साफाई ये सब किसी के आने के लिए तो नही हो रहा है..?
जैसे ही में ये पोस्ट डाल रहा था उसी वक्त जौहर की अज़ान ने दस्तक दी...


दुनिया पर इस वक्त कुदरत का कहर गालिब है और ज़ाहिर है ये वक्त कोरोना के गुनहगारों को ढूंढने से ज़्यादा कोरोना से बचने का है. मगर ये भी पता चलना ज़रुरी है कि कौन है वो जिसकी वजह से सब कुछ होते हुए भी पूरी दुनिया अचानक बेबस और लाचार नज़र आ रही है. क्यों और किसकी वजह से सड़कों पर कर्फ्यू है. दिलों में दहशत है और पूरी दुनिया में मौत का ये सन्नाटा पसरा है. हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि कोरोना की असली हकीकत क्या है. कहां से ये आया और कौन इसे लाया. मगर बात अब और आगे बढ चुकी है. अब इसको फैलाने का शक चीन के साथ साथ अमेरिका पर भी है. इसलिए ज़रूरी है कि इसकी इनसाइड स्टोरी की पड़ताल हो. लिहाज़ा शुरुआत सबसे नए और सबसे सनसनीखेज़ दावे से.




क्या अमेरिका ने फैलाया कोरोना वायरस?

इसमें कोई शक नहीं कि जिस तेज़ी से आर्थिक और सामरिक तौर पर चीन पूरी दुनिया पर हावी होता जा रहा था. उससे अमेरिका घबराया हुआ था. उसे अपने सुपरपावर होने का खिताब खो देने का डर सता रहा था. और लगातार अमेरिका चीन से आमने सामने की ट्रेड वॉर कर रहा था. मगर जिस तरह चीन ने दुनिया के बाज़ार पर अपना दबदबा कायम किया उससे पार पा पाना अमेरिका के लिए भी नामुमकिन सा हो गया था. और फिर अचानक कोरोना का कहर आया और अचानक बुलेट की रफ्तार में भागने वाला चीन थम गया. हर तरफ लोग कोरोना की चपेट में आने लगे और देखते ही देखते पूरा का पूरा देश लॉक डाउन हो गया. चीन की तस्वीरों को देखकर आप अंदाज़ा लगा ही लीजिए कि पिछले करीब चार महीनों से ऐसे हालात से जूझ रहे चीन की अर्थव्यवस्था का क्या हश्र हुआ होगा.



अमिरिकी सेना का सच क्या है....??

अमेरिकी मिलिट्री पर संगीन इल्जाम

जो काम अमेरिका के सैंक्शन और सालों की कोशिश नहीं कर पाई. वो कोरोना के इस वायरस ने महज़ तीन महीने में कर दिया. अमेरिका पर शक़ जाना तो लाज़मी है. और ये शक़ इसलिए भी गहराता जा रहा है क्योंकि नवंबर में ये वायरस चीन में फैला और दिसंबर आते आते इसने अपना खौफनाक रुप दिखाना शुरु कर दिया. उससे महज़ एक महीने पहले उसी वुहान शहर में वर्ल्ड मिलिट्री स्पोर्ट्स यानी विश्व सैन्य खेल हुए थे. जिसे कोरोना वायरस का एपी सेंटर यानी केंद्र कहा जा रहा है. पिछले साल चीन में हुए इस वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स में अमेरिका ने भी अपने सैनिक एथलीटों की लंबी चौड़ी टीम भेजी थी. ये इवेंट अक्टूबर में वुहान में ही हुए थे. जहां ये टीम ठहरी भी थी. वो जगह वुहान के सी-फूड मार्केट के पास ही है. इसलिए चीन की मीडिया में लंबे समय से ये कहा जा रहा है कि अमेरिकी मिलिट्री टीम ने चीन में इस वायरस को प्लांट किया.




क्या चीन में वायरस लेकर आई अमेरिकी सेना?

अगर आपको याद हो तो जब कोरोना का असर चीन में फैलना शुरु हुआ था. और डॉक्टर-वैज्ञानिक जब इसे चमगादड़ से फैली महामारी बता रहे थे. तब अमेरिका ही सबसे पहले सामने आया था, जिसने ये बात उठाई कि मुमकिन है कि ये वायरस चीन की वुहान लैब से फैला हो. और ये सब तब हुआ जब खुद चीन ये पता लगाना में जुटा था कि आखिर ये जानलेवा वायरस आया कहां से. तो सवाल ये है कि आखिर जो जवाब चीन ग्राउंड ज़ीरों पर होते हुए नहीं ढूंढ पाया वो हज़ारों किमी दूर से अमेरिका ने कैसे खोज लिया. इसी के बाद चीनी अधिकारियों की शक की नज़रें वुहान की फिश मार्केट के इर्द गिर्द घूमने के बजाए. अमेरिका पर भी घूमने लगीं और अब चीन ने दुनिया को हैरान करने वाला दावा किया है.

चीन के विदेश मंत्रालय ने ये दावा किया कि कोरोना वायरस का चीन से कोई लेना-देना ही नहीं है. बल्कि अमेरिका ने इसे पैदा किया और वुहान में इसे लाने के पीछे अमेरिकी सेना ने साज़िश रची. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड का एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें वो स्वीकार कर रहे हैं कि फ्लू से कुछ अमेरिकी मरे थे लेकिन मौत के बाद पता चला कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित थे. रेडफील्ड ने अमेरिकी संसद की समिति के सामने ये माना भी था...




अब तो दुनियाभर के जानकार भी दबे छिपे तरीके से ये मानने लगे हैं कि कोरोना वायरस एक गहरी साजिश का नतीजा हो सकता है. इंटरनेट पर दुनियाभर के कई अखबारों की ऑनलाइन साइट पर पिछले एक महीने से कोरोना को साजिश के तहत पैदा किए जाने की खबरें लगातार चल रही हैं. रूस में तो एक टीवी चैनल कोरोना को साज़िश बताने की खबरों से जुड़ी लगातार खबरें कर रहा है.. इसका दावा है कि कोरोना वायरस दरअसल यूरोप और अमेरिका की बड़ी दवा कंपनियों, सीआईए और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की मिलीजुली साजिश है. जिसे चीन की नहीं बल्कि जार्जिया में अमेरिका की एक सीक्रेट लैब में तैयार किया गया. जहां जैविक हथियार बनाने का काम हो रहा है और फिर वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स के दौरान अमेरिकी सेना ने इसे फैलाया. मगर अभी इन दावों की हकीकत से धुंध का गुबार छटना बाकी

          अब बात करते है अपने देश  की ...

मोके का फ़ायदा उठान तो कोई हम से सिखे...
कैसे सब्ज़ी वाले इस भयानक महामारी में जनता को को लूट रहे है...
इस मुसीबत के समय हमारी पुलिस और मीडिया बहुत ही अच्छा काम कर रही है..

लेकिन कहि जगह पर बहुत ज्यादा ज्यादती भी होती दिखाई दे रही है...
जनता पुलिस के रवैये से खासी नाराज़ भी नज़र आ रही क्योंकि सब से ज्यादा परेशानी गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवार को उठानी पड़ रही है...


किस तरह एक गरीब मजदूूर को बुुुरी तरह से पीटा
देश मे इस मुसीबत के समय ऐसा बर्ताव करना कतई सही नही है
पेहले ही 21 दिन के लॉकडाउन से गरीब लोग परेशानी में है और ऊपर से ऐसा बर्ताव बहुत ही दयनीय है
भारत सरकार ओर प्रदेश की सरकारों को ये जरूर 
विचार करना होगा कि कैसे जनता के बीच मे आपसी सहमति बनाई जा सके...



 
बहुत सी जगह पर पुलिस ने जनता को समज़ाईश दे कर घर पर रहने की सलाह दी ...


कही दूसरी और पुलिस के द्वरा बहुत ही सहरानीय कार्य भी किये गये...
आप देख सकते है कैसे पुलिस गरीबों और बेहसारा लोगो के लिए फ़रिश्ता बन कर आई.....


ठीक है आगे मिलते है और नई बात के साथ 

आप का शोऐब गौरी 
MYSG................


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